पर्सनल फाइनेंस क्या होता है? -Personal Finance Kya hota Hai

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पर्सनल फाइनेंस क्या होता है? -Personal Finance Kya hota Hai

सबसे पहले हम जान लेते हैं कि आखिर यह पर्सनल फाइनेंस क्या होता है? -Personal Finance Kya hota Hai अगर हम इसके सिंपल डेफिनेशन को देखें तो, “पर्सनल फाइनेंस इस नथिंग बट मैनेजिंग योर मनी” यानी कि अब कैसे अपने पैसे को मैनेज करते हो और साथ ही कैसे आप अपने फाइनेंशियल डिसीजंस लेते हैं, आप कैसे बजटिंग करते हैं कैसे इन्वेस्टिंग करते हैं कैसे सेविंग्स करते हैं बेसिकली सारे फाइनेंशियल एस्पेक्ट्स को कवर करता है.

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पर्सनल फाइनेंस क्या होता है? -Personal Finance Kya hota Hai

व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन इसे इंग्लिश में बोला जाए तो कहते हैं पर्सनल मनी मैनेजमेंट Personal Finance किसी व्यक्ति और उसके धन से जुड़ाव एक ऐसा विषय है जो धन संभालने और उसको पैसे के नियंत्रित के साथ-साथ उसका धन ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने के तरीके को सीखना है 

दूसरे शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति के धन कमाने और खर्च करने को खर्च के साथ-साथ उसे व्यक्ति के बचत और निवेश से संबंधित पैसे से जुड़ी बातों और उसे आर्थिक फैसलों को हम उसका पर्सनल फाइनेंस कहते हैं 

और बिल्कुल आम भाषा में बात की जाए तो हम में से किसी भी हम में से हर किसी का पैसे हैंडल करने का अपना-अपना एक तरीका होता है और इसे अलग-अलग पैसे मैनेज करने के तरीके को ही हम फाइनेंस की भाषा में पर्सनल फाइनेंस कहते हैं

इस तरह पर्सनल फाइनेंस को पैसों को हैंडल करने का एक महत्वपूर्ण विषय है इस विषय में सभी तरह के के फाइनेंस डिसीजंस जैसे हमारे घरेलू पारिवारिक स्थिति व्यक्तिगत रूप से कमाने के खर्च और बचत और निवेशक के तरीके शामिल किए जाते हैं 

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पर्सनल फाइनेंस में क्या-क्या शामिल होता है What is included in personal finance

पर्सनल फाइनेंस एक बहुत बड़ा विषय है जो अलग-अलग व्यक्ति द्वारा उसके पैसों के लेनदेन मनी ट्रांजैक्शन से जुड़ा हुआ विषय है 

इस तरह अगर बात करें कि पर्सनल फाइनेंस के अंदर क्या-क्या चीज आती हैं आप पैसे का व्यवहार कहां-कहां और कैसे-कैसे करते हैं तो इस तरह से आप जो भी व्यवहार पैसे से जुड़ा हुआ है देखे वह सब व्यवहार मनी ट्रांजैक्शन पर्सनल फाइनेंस से जुड़ा हुआ होता है 

जैसे इनकम सैलरी बजट मंथली एक्सपेंस बिल पेमेंट शॉपिंग बैंक अकाउंट क्रेडिट कार्ड होम लोन पर्सनल लोन स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट लाइफ इंश्योरेंस एंड हेल्थ इंश्योरेंस और दूसरे इंश्योरेंस कर्ज और इसी तरह के लोन और कर्ज संपत्ति हमारी देनदारियां और हमारे फ्यूचर प्लानिंग रिटायरमेंट चाइल्ड एजुकेशन होलीडे ट्रिप इस तरह की सभी चीज जो आपके पैसे से जुड़ी हुई हो वह सब आपके पर्सनल फाइनेंस से संबंधित होता है 

पर्सनल फाइनेंस की अलग-अलग कैटरिंग होती हैं जैसा कि मैं पहले ही बताया है पर्सनल फाइनेंस एक बहुत बड़ा विषय है इस तरह के पर्सनल फाइनेंस के अंदर आने वाले सभी तरीके की चीजों को कैटेगरी में बांटा जा सकता है ताकि पर्सनल फाइनेंस के सब्जेक्ट को अच्छी तरह से समझने में आसानी हो सके

जैसे बजट हमारे सभी तरीके के इनकम और खर्चे में शामिल होते हैं बीमा 

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दूसरा होता है बीमा दूसरी कैटेगरी को हम बात करें तो बीमा इंश्योरेंस किसी भी तरीके की बीमा योजना जो हर समय हम लेते रहते हैं लाइफ इंश्योरेंस हेल्थ इंश्योरेंस घर गाड़ी या दूसरे इंश्योरेंस 

तीसरा है टैक्स जिसमें कुछ प्रमुख टैक्स हैं इनकम टैक्स टीडीएस और दूसरे जो भी है

चौथा होता है बचत और निवेश यानी सेविंग और इन्वेस्टमेंट

पांचवा होता है फाइनेंशियल प्लानिंग जिसमें हम फाइनेंशियल फ्रीडम रिटायरमेंट बच्चों की एजुकेशन शादी और उन चीजों को खर्च के योग योजनाएं बनाते हैं उसे समय काम करते हैं इसके अलावा भी पर्सनल फाइनेंस की बहुत सारी क्रांतिकारी बनाई जा सकती है 

लेकिन इन पांच कैटेगरी कोई प्रमुख माना गया है हर व्यक्ति का पर्सनल फाइनेंस अलग-अलग होता है धन एक बहुत ही व्यक्तिगत विषय है और आप ध्यान रखेंगे तो इस तरह के सत्य को भी समझेंगे कि हर व्यक्ति की धन कमाने की क्षमता एक दूसरे से अलग-अलग होती हैं इसका मतलब यह है कि हर व्यक्ति के धन को खर्च करने बचत करने और निवेश करने के बारे में एक दूसरे से बिल्कुल अलग सोचता है यही कारण है कि धन को मैनेज करना एक व्यक्तिगत विषय बन जाता है इसलिए धन को मैनेज करने के लिए इस विषय को पर्सनल फाइनेंस नाम दिया गया है  पर्सनल फाइनेंस को समझना बहुत ही जरूरी होता है

पर्सनल फाइनेंस नियम जो आपको जानना चाहिए Personal Finance Rules you should know.

50-30-20 Rule क्या है ये नियम?
मंथली बजट बनाने के लिए आप 50-30-20 के नियम को फॉलो कर सकते हैं. इस नियम को फॉलो करके आप अच्छे से फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकते हैं.

50-30-20 Rule का मतलब हुआ कि आप अपनी इन हैंड सैलरी (In-Hand Salary) यानी कमाई का 50 Percent हिस्सा जरूरत की चीजों पर खर्च करें. जैसे- घरेलू खर्च, ग्रॉसरी इनमें यूटिलिटी बिल, रेंट, EMI,जैसे खर्च शामिल हैं. इसके बाद आपकी इनकम का 20 Percent हिस्सा कहीं इन्वेस्ट करना चाहिए.जैसे शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए बचत में जाना चाहिए अब जो 30 Percent हिस्सा बचता है, उन्हें अन्य गैरजरूरी खर्चों के लिए रखें.इच्छाओं में खर्च होना चाहिए जैसे- बाहर जाना, बाहर खाना और ट्रैवल करना आदि आप अपनी उम्र और परिस्थितियों के हिसाब से इस प्रतिशत को थोड़ा कम-ज्यादा कर सकते हैं अगर कोई भी लोन लेते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपकी सारी EMI सैलरी के 30 फीसदी से ज्यादा नहीं चाहिए, वर्ना आप Debt ट्रैप यानी कर्ज के जाल में फंस सकते हैं.

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फॉर्मूला का कैसे करें इस्तेमाल
कोई व्यक्ति अपना पर्सनल फाइनेंशियल प्लानिंग (Personal Finance planning) करते समय सबसे पहले, अपनी मासिक इनकम की गणना करें और फिर अपने खर्च को जरूरतों, इच्छाएं और बचत में कैटेगराइज करें हर कैटेगरी के लिए खर्च की 50%, 30% और 20% होनी चाहिए ऐसे समझें जैसे मान लिया आप हर महीने महीने 100,000 रुपये कमाते हैं

उदाहरण के लिए, यदि आपकी कुल आय रु 100,000, मान लें तो, तोह इस नियम के हिसाब से :

रु 50,000 अपनी जरूरतों के लिए रखें ;
रु 30,000; आपकी इच्छाएं के लिए तथा;
रु 20,000 आपकी बचत की ओर रखें

जरूरत के लिए 50 प्रतिशत वाला हिस्सा

इस कैटेगरी में उन खर्चों में उन्हें शामिल किया जाना चाहिए जो बहुत जरूरी हैं इस टॉप प्रायोरिटी देनी चाहिए हम ऐसे समझे ते है कि आपकी इनकम का 50 परसेंट आपकी जरूरतों के लिए अलग रखा जाना चाहिए इसमें जरूरी खर्च, फाइनेंशियल जिम्मेदारी भी शामिल हैं इस खर्च में किराया, यूटिलिटीज, किराना, हेल्थ केयर, इंश्योरेंस प्रीमियम, बच्चे की स्कूल या कॉलेज की फीस शामिल हो सकते हैं

इच्छाएं के लिए 30 प्रतिशत हिस्सा

फाइनेंशियल प्लानिंग में आपकी इच्छाएं उस तरह का खर्च है जो आपके जीवन यापन के लिए बिल्कुल जरूरी नहीं हैं इसे ऐसे कह सकते हैं हम सभी की इच्छा लग्जरी जीवन जीने की होती है ऐसे में अपनी कमाई का 30 प्रतिशत खर्च ऐसी आवश्यकताओं पर खर्च करना चाहिए, जिसका शौक हमें हो जैसे फिल्म देखना, कपड़ो की खरीदारी, बाहर खाना इत्यादि ये ऐसे खर्च हैं जिनपर हम नियंत्रण कर सकते हैं, इसलिए इन आवश्यकताओं पर 30 प्रतिशत पैसा ही अपनी कमाई का खर्च करें

बचत (savings) के लिए 20 प्रतिशत हिस्सा

जानकारों की राय है कि अपनी कमाई का 20 Percent पैसा हमेशा बचा कर रखना चाहिए, ताकि मुश्किल परिस्थितियों में आपको लोन या उधार ना लेना पड़ा अपनी कमाई का 20 प्रतिशत पैसा हम एफडी, जैसी स्कीम पर खर्च कर सकते हैं आपकी मासिक आय का 20 प्रतिशत आपके फ्यूचर टारगेट, निवेशों और मेडिकल इलाज, घर के रखरखाव, के लिए बचाया जाना चाहिए आप इन बचतों के लिए एक खास बैंक अकाउंट रख सकते हैं अगर हम इस नियम को फाॅलो करते हैं तो हम भविष्य के लिए पैसा बचाने के साथ-साथ अपनी जरूरतों के हिसाब से खर्च भी कर पाएंगे

निष्कर्ष – Conclusion

मैं आशा करता हूँ की आपको मेरी यह Post  पर्सनल फाइनेंस क्या होता है? -Personal Finance Kya hota Hai पूरी जानकारी हिंदी में जरुर पसंद आई होगी, आपको जानकारी कैसे लगी कमेंट करके अपना feedback जरूर बताये ..और अगर आपके मन में इस Article को लेकर कोई भी दिक्कत या Doubts हैं तो आप कमेंट करके बिना झिझक के वो भी पूछ सकते है और साथ ही अगर आप को लगता है इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब भी आप हमे नीच Comments लिख सकते हैं.

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